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कल भी सूरज नहीं चढ़ेगा

सुरजीत सिंह सेठी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :125
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6124
आईएसबीएन :812373445X

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यह रचना आजादी की घटनाओं का विवरण बड़े ही रोचक ढंग से कर रही है। आजादी के लिए कुर्बान वीरों की साहस और धैर्य की रचना है यह।

Kal Bhi Suraj Nahin Chadhega-A Hindi Book by Surjit Singh Sethi

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कल भी सूरज नहीं चढ़ेगा

राम बाग, अमृतसर। नया मिलिटरी हेडक्वार्टर। बहुत बड़ा कैंप। कैंप में केवल और जनरल डायर। शाम चार बजे का समय। डायर कुछ सोच रहा है। और मै.....मैं भी सोच रहा हूँ। डायर थका हुआ है। सुबह से उसने एक पल भी आराम नहीं किया है। और मैं.... मैं भी थक चुका हूँ। जहां-जहां डायर गया वहां-वहां मैं भी उसके साथ ही था, साये की तरह। नहीं साये से भी बढ़कर। साया भी कभी-कभी साथ छोड़ जाता है, परन्तु मैं तो एक पल के लिए भी उससे अलग नहीं हुआ था।
डायर को विश्वास है कि वह कैंप में अकेला है। उसे तनिक भी अहसास हो कि कैंप में कोई और भी है तो वह इस तरह की हरकते नहीं करता। वह अपनी हरकतें करता जा रहा है। उसकी घबराहट उसकी बेचैनी स्पष्ट दिखाई पड़ रही है। मैं उसके सामने बैठा सभी कुछ देख रहा हूँ। देख-देखकर हैरान हो रहा हूँ। न जाने डायर को आज क्या हो गया है !

दाईं ओर वर्ष 1919 का कैलेंडर टंगा हुआ है। यकायक डायर कैलेंडर की ओर देखता है। फिर उठकर कैलेंडर के पास जाता है और जेब में से लाल पेंसिल निकालकर 13 अप्रैल पर निशान लगाता है।
कुछ ही घंटों पहले ढोल पीटा जा रहा था। और यह सूचना दी जा रही थी –
‘‘सूचित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्राइवेट कार किराए के वाहन में या पैदल, बिना आज्ञा के शहर छोड़कर नहीं जा सकता। आज्ञा-पत्र इन अधिकारियों से लिया जा सकता है-

 

‘‘अमृतसर शहर में रहने वाले किसी व्यक्ति को आठ बजे रात के बाद घर से बाहर जाने की आज्ञा नहीं।
‘‘रात आठ बजे के बाद जो भी व्यक्ति गली में नजर आया उसे गोली से उड़ा दिया जाएगा।

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